हर भारतीय तुम पर निसार है।
हर भारतीय तुम पर निसार है।
ऐ देश तुम पर मेरा दिल दीवाना हो गया,
तुम्हारे शीश पर हिमालय, चरण पखारता सागर है
हस्त नदियों की छटा, देवाशीषों से भरी गागर है।
भास्कर की रश्मियां, राकेश की चंद्रिका एकाकार है।
तुम्हारी रज में समाया है वीरों का लहू,
तुम्हारे सैनिकों से सीमा का स्वाभिमान है।
आज तुम्हारी आवाज जन जन में गूंज रही,
नवीन भारत का निर्माण है।
तुम्हारी धरती का दुशाला,
बुनेंगे सब मिलकर, वृक्ष कर रहे तुम्हारा शृंगार हैं ।
तुमको धरती से नभ तक प्रकाशित करने को,
हर भारतीय तैयार है।
गूंज उठते हैं देवालय के घंटा शंखनाद
मोह लेती अजान है।
नींव से शिखर तक पहुंचाने को तुम्हे
हर भारतीय तैयार है।
लहरा दी अपनी पताका चंद्रमा पर,
सूरज के पास जाने को भी तैयार है।
युद्ध हो रहा हो कहीं भी,
चाहे कोई बेहाल हो,
सबके लिए अये भारतवर्ष,
तुम जैसे पालनहार हो,
गर्व है हर भारतवासी को तुमपर ,
हर भारतीय तुम पर निसार है।
हर भारतीय तुमपर निसार है।।
