"रहो ढोंग से दूर "
"रहो ढोंग से दूर "
देता रब के नाम पर , मुल्ला चाहे अजान
उनको खुदा न मिल सका , बने घने शैतान
बने घने शैतान , रोज वों शोर मचाता
करें पुजारी जाप , शंख खडताल बजाता
रहो ढोंग से दूर , ज्योति से भरना पेटा
कर्म बनें रवि धर्म , अंध को उखाड़ देता।
