Jai Singh(Jai)
Tragedy Action Inspirational
अबला भारत देश की, खूब बनी अंजान
देव पीर सब पूजती, हुआ न उसको ज्ञान
हुआ न उसको ज्ञान, ढोंग में ऐसी उलझी
उभर सकी ना आज,गुत्थी ना उसकी सुलझी
जन्म लिया जब भीम, बनाया उसको सबला
भूल गई अहसान, रही अबला की अबला।
"वंदन नूतन वर...
"ज्ञान के दीप...
पर्व यह ज्योत...
" पटाखे हम न ...
" नमन नमन गु...
"ललई सिंह "
" राखी का त्य...
" भीम ने राखी...
" मेजर ध्यान...
अबला भारत देश...
एक शख्स मिला मुझको जो किस्से लिखता था !! एक शख्स मिला मुझको जो किस्से लिखता था !!
अभिमान का तूने साथ न छोड़ा, इस कारज विपदा आई है। अभिमान का तूने साथ न छोड़ा, इस कारज विपदा आई है।
छोड़ गए तुम लाल मेरे कैसे तुम बिन रह पायेंगें? छोड़ गए तुम लाल मेरे कैसे तुम बिन रह पायेंगें?
प्रवासी सा हो गया सबका जीवन, किसी को अपनेपन का अहसास नहीं। प्रवासी सा हो गया सबका जीवन, किसी को अपनेपन का अहसास नहीं।
है बन गयी स्वच्छंदता ये #स्वतंत्रता। है बन गयी स्वच्छंदता ये #स्वतंत्रता।
जिस्म से रूह को जाने की दुआ दी किसने । मेरी हर आरज़ू मिट्टी में मिला दी किसने ।। जिस्म से रूह को जाने की दुआ दी किसने । मेरी हर आरज़ू मिट्टी में मिला दी किसने...
मीठी बोली भी लगती है कौए की अब काँव प्रिये मीठी बोली भी लगती है कौए की अब काँव प्रिये
प्रभुजी आप हृदय बैठे, सही राह दिखलाते हैं। प्रभुजी आप हृदय बैठे, सही राह दिखलाते हैं।
धरती पर झूमने, वतन को यू चूमने। जन्मा हूँ मैं इस धरा पर मातृभूमि के लिऐ ।। धरती पर झूमने, वतन को यू चूमने। जन्मा हूँ मैं इस धरा पर मातृभूमि के लिऐ ।।
घाटी-घाटी मौन खड़ी है, दूर तलक सन्नाटा है । आदमखोर भेड़ियों ने फिर, मानवता को काटा है । घाटी-घाटी मौन खड़ी है, दूर तलक सन्नाटा है । आदमखोर भेड़ियों ने फिर, मानवता को क...
चेहरों के जंगल में खोये हुए हैं सब हृदय को तम में डुबोये हुए हैं सब.. चेहरों के जंगल में खोये हुए हैं सब हृदय को तम में डुबोये हुए हैं सब..
पूर्ण न होता जीवन में कोई, कमी मिलेगी हर कहीं छोट-बड़ई की बात नहीं ये. पूर्ण न होता जीवन में कोई, कमी मिलेगी हर कहीं छोट-बड़ई की बात नहीं ये.
केवट जागे हैं भाग्य तुम्हारे। जगतपति,घाट पै पधारे।। केवट जागे हैं भाग्य तुम्हारे। जगतपति,घाट पै पधारे।।
एक विभाजन की रेखा ने पक्के घर को तोड़ दिया।। एक विभाजन की रेखा ने पक्के घर को तोड़ दिया।।
देख गाँव का भ्रष्ट आचरण कमली चली गई। देख गाँव का भ्रष्ट आचरण कमली चली गई।
जब चाहता है खेलता है तोड़ता है दिल , कैसे यकीन-ए-यार कुचलता है आदमी । जब चाहता है खेलता है तोड़ता है दिल , कैसे यकीन-ए-यार कुचलता है आदमी ।
बचपन में वह हुई सुहागन माँग पड़ा सिन्दूर। बचपन में वह हुई सुहागन माँग पड़ा सिन्दूर।
झूठ आकर सत्यता को छल रहा है। आज घर-घर साँप बिच्छु पल रहा है। झूठ आकर सत्यता को छल रहा है। आज घर-घर साँप बिच्छु पल रहा है।
घूर रही हैं कामुक नजरें रक्षा करना राम। घूर रही हैं कामुक नजरें रक्षा करना राम।
कोरोना की लहरों ने आ , चौपट करी पढाई ।। कोरोना की लहरों ने आ , चौपट करी पढाई ।।