Jai Singh(Jai)
Tragedy Action Inspirational
नायक पिछड़ों के रहे, किया जुल्म पर वार
ऐसे ललई सिंह ने , कभी न मानी हार
कभी न मानी हार, हकों की लड़ी लड़ाई
तोड़ धर्म का मिथक, जात भी गलत बताई
लिख रामायण खास, हुए वो बहुजन पावक
नमन करें यह देश, नमन हो लेखक नायक
"वंदन नूतन वर...
"ज्ञान के दीप...
पर्व यह ज्योत...
" पटाखे हम न ...
" नमन नमन गु...
"ललई सिंह "
" राखी का त्य...
" भीम ने राखी...
" मेजर ध्यान...
अबला भारत देश...
कभी कभी सोचता हूं काश! नासमझ ही होता। कभी कभी सोचता हूं काश! नासमझ ही होता।
आज यह जिंदगी उद्योग की भट्टी हो गई पथरा गया इंसा जिंदगी धुआँ-धुआँ हो गई। आज यह जिंदगी उद्योग की भट्टी हो गई पथरा गया इंसा जिंदगी धुआँ-धुआँ हो गई।
मुहब्बत की दुकान में नफरती सामान धड़ल्ले से बिक रहा। मुहब्बत की दुकान में नफरती सामान धड़ल्ले से बिक रहा।
कैसी है ये बेबसी कैसी ये लाचारी है भूख से दुनिया हारी है। कैसी है ये बेबसी कैसी ये लाचारी है भूख से दुनिया हारी है।
क्यों हम उतर पाए न खरे एक दूजे की कसौटी पर। क्यों हम उतर पाए न खरे एक दूजे की कसौटी पर।
यह रात यह तन्हाई, और याद तेरी, ना सोने देती हैं, और ना जगने देती हैं। यह रात यह तन्हाई, और याद तेरी, ना सोने देती हैं, और ना जगने देती हैं।
अक्सर जिंदगी छीन लेती है उन हौंसले के पंख। अक्सर जिंदगी छीन लेती है उन हौंसले के पंख।
मीत मेरे बचपन के न जाने कहां खो गए छोड़ गांव की गलियां शहर की भीड़ का हिस्सा हो गए। मीत मेरे बचपन के न जाने कहां खो गए छोड़ गांव की गलियां शहर की भीड़ का हिस...
एक छोटा सा मोबाइल आज रिश्तों पे पड़ रहा भारी। एक छोटा सा मोबाइल आज रिश्तों पे पड़ रहा भारी।
जिम्मेदारी दो जिन्हें गोश्त की रखवाली की हों वही गिद्धों के सरदार तो फिर क्या होगा जिम्मेदारी दो जिन्हें गोश्त की रखवाली की हों वही गिद्धों के सरदार तो फिर क्या...
नहीं,नहीं-चीख नासूर की नहीं मेरी ही है.. नहीं,नहीं-चीख नासूर की नहीं मेरी ही है..
बस जी रहे है, पीड़ा के साथ जैसे निकल रही हो अर्थी की बारात. बस जी रहे है, पीड़ा के साथ जैसे निकल रही हो अर्थी की बारात.
क्या मुझे अधिकार नहीं सुंदर, वांछित जीवन जीने का ? क्या मुझे अधिकार नहीं सुंदर, वांछित जीवन जीने का ?
छीने तुझसे सारी तेरी प्यारी सारी चीजें। छीने तुझसे सारी तेरी प्यारी सारी चीजें।
दुःखों से जीवन का जीवंत अनुभव लीजिए दुःखों से जीवन का जीवंत अनुभव लीजिए
अपनी किस्मत नहीं मुझको इतनी हसीन लगती है । अपनी किस्मत नहीं मुझको इतनी हसीन लगती है ।
मनाकर एक दिवस केवल, शेष दिन हम जो सो जाएंगे। मनाकर एक दिवस केवल, शेष दिन हम जो सो जाएंगे।
बेवफाई तुमने की या मैंने की ये रब जानता है। बेवफाई तुमने की या मैंने की ये रब जानता है।
कभी ढक लेंगे सूखे पत्ते कभी कब्र पे मेरी बरसात होगी कभी ढक लेंगे सूखे पत्ते कभी कब्र पे मेरी बरसात होगी