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LALIT MOHAN DASH

Abstract Tragedy Inspirational

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LALIT MOHAN DASH

Abstract Tragedy Inspirational

चर्चा

चर्चा

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आजकल हर कोई चर्चा में रहना चाहते हैं

गर उनके वारे में चर्चा नहीं

तो समझो वे नहीं


इसीलिए तो ज्यादातर लोग 

सोशल मीडिया पर

मुंह दिखाने को बेचैन है

चाहे जो भी करे, जरूरत है तो नंगा हो जाए

चाहे जो भी हो पर उन्हें चर्चा में रहना है

जमाने में अपना ब्रांड वैल्यू बढ़ाने केलिए 


आजकल के जमाना कहता है ज्यादा

कहता क्या ? बकवास करता है ज्यादा

सुनता बहुत कम फिर समझता 

उससे भी कम, नहीं के ही बराबर है


किसी के पास फुरसत कहां ?फिर 

वो दर्दभरे दिल है कहां ? जो दूसरे के

दर्द को अपना ही समझेगा ?


आजकल सब उमड़ते हुए शोर में 

बिना कुछ सोचे समझे मिलाते हैं शोर

अपने आपको ढूंढते नहीं, अपनी अलग 

पहचान बनाने की पीड़ा लेते नहीं

बस भीड़ में खो जाते हैं ... 


और ये मीडिया वाले  

वे भी पहले जैसे नहीं रहे 

उनके स्वभाव भी

काफी कुछ बदलाब हुआ हैं  


वे जमाने के हिसाब से

काफी पेशादार हो गए है

हर पल चर्चे को बढ़ाने रहते हैं

उन्हें भी तो पैसे कमाना है


इस बेदर्द जमाने में जीने केलिए

समाज में अपना पहचान बनाना है

दूसरे के वारे में चर्चा करते करते 

खुद भी चर्चा में रहना है, चर्चा बन जाना है


इसीलिए तो सोशल मीडिया पर

आजकल रात दिन हर पल 

दिखने को मिलता है 

सिर्फ चर्चा चर्चा ओर चर्चा

बहुत बेतुकी बात देखने को मिलता है


इन चर्चे के नतीजा कुछ नहीं मिलता

लोगों को कोई संदेश मिलता ही नहीं


मिलता है सिर्फ हंगामा, बहस, बकवास

शोर सरावा, चर्चा चर्चा ओर चर्चा .....!


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