मेरा गाँव
मेरा गाँव
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स्वछंद मन-मिजाज होता,
जहाँ मिलती शीतल छाँव है।
जहाँ चैन सुकून से जीते सभी,
ऐसा सुंदर मेरा गाँव है।।
स्वच्छ,सुवासित,मधुर हवाएँ,
यहाँ बेरोक-टोक गुजरती हैं।
भौंरे गुंजरते कलियों की गलियों में,
यहाँ सुंदर तितलियाँ मंडरती हैं।।
बसंत ऋतु में तो गाँव के,
दृश्य दिखते बड़े मनोरम।
चारों तरफ रंगीन नजारा,
टेसू खिल लगते अनुपम।।
न शोरगुल न कोई कोलाहल,
यहाँ जीवन बीते शांतिपूर्ण।
प्रकृति की प्रथम सृष्टि है गाँव,
सौंदर्य से भरा सौभाग्यपूर्ण।।
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