प्रेम ढाई अक्षर
प्रेम ढाई अक्षर
मेरे यार ! जिससे तू प्यार करता है
उसे सिर्फ प्यार कर
उससे कुछ उम्मीद मत रख तू
प्यार के बदले प्यार भी नहीं
कुछ भी नहीं
सिर्फ उसे प्यार करना है तुझे
और तू कुछ मत सोच ,बस तू प्यार कर
मेरे दोस्त ! प्यार ईश्वर के सबसे बड़ा
वरदान है इंसानों केलिए
वो कोई सौदा नहीं
कोई समझोता भी नहीं
किसीको दिल देकर
खुद को पूरी तरह समर्पण करके
तू देख मेरे यार !
कैसे मन के आसमान में तेरे
एकसाथ हजारों इंद्रधनुष खिल उठते हैं
और तुझे वो सबकुछ मिल गया है
वो अतिंद्रिय अहसास
वो अनकहा आनंद
जिसे पाने केलिए
योगियों ने सालों साल
साधना करते हैं
फिर यहां वहां
इधर उधर कितने तीर्थस्थल
घूमते फिरते रहते हैं
निसंदेह तुझे ये सब अनुभव
नसीब हो जाएगा मेरे यार
ढाई अक्षर प्रेम को अहसास करते हुए
प्यार का अहसास और
मुक्ति का अहसास
दोनों एक ही तो है ये जानते हुए
किसीको दिल के साथ साथ रूह से प्यार करते हुए।
