STORYMIRROR

Taj Mohammad

Abstract Tragedy Others

4  

Taj Mohammad

Abstract Tragedy Others

बदनाम गलियों में।

बदनाम गलियों में।

1 min
322

बदनाम गलियों में हमने शरीफों के चेहरे देखे हैं।

दिन के उजालों में जो शराफत की चादर ओढ़े रहते हैं।।1।।


काली रात के जैसा उनका जहन भी काला है।

अदीबों की महफिल में जो बातें मज़हब की करते है।।2।।


बनते फिरते है जो सच्चाई के बड़े ही अलंबरदार।

ना जानें वो जुबां से दिन रात कितने ही झूठ बोलते हैं।।3।।


अब क्या बताए ताज तुमको बड़े घरों का अदबो लिहाज़।

ये दौलत वाले किसी की भी यूं इज़्जत ना करते हैं।।4।।


तुम गरीब मासूम हो इनके बातों के जाल में ना फंसना।

ये इज़्ज़त वाले जिस्म फरोशी की तिज़ारत भी करते हैं।।5।।


लाख कर लो महफिलें दिल खुश रखने के लिए।

नफ्स के गंदे बस कुछ पल ही सुकून के जीते हैं।।6।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract