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Taj Mohammad

Abstract Romance Tragedy

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Taj Mohammad

Abstract Romance Tragedy

तेरी रूह को मैं संवार दूं।

तेरी रूह को मैं संवार दूं।

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तेरे मेरे रिश्ते को मैं क्या नाम दूं।

तुझ से दिली चाहत को क्या पहचान दूं।।1।।


दिल मेरा ही जलेगा तुम्हारा नहीं।

इसीलिए तेरे हर रिश्ते से मैं गुमनाम हूं।।2।।


अब कहने सुनने से क्या फ़ायदा।

सोचता हूं ये जिंदगी तन्हा ही गुजार दूं।।3।।


तेरी बागबां जिंदगी को बहार दूं।

तेरी आंखों को मैं कुछ नए से ख़्वाब दूं।।4।।


आ साथ चले सफर में हम दोनों।

तेरी सेहरा सी जिन्दगी को मैं आब दूं।।5।।


अकीदा करके तो देख तू मुझ पे।

मोहब्बतों से तेरी रूह को मैं संवार दूं।।6।।



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