ये उजले-उजले चेहरे.
ये उजले-उजले चेहरे.
ये उजले - उजले चेहरे देखो, अंदर से कितने सियाह हैं l
अब आके यारों मैंने सब, चेहरों के राज पहचाने हैं ll
एक मुसाफिर ने आकर, दुनिया मुझको दिखलाई है l
चेहरों के पीछे कितने चेहरें ,ये उसने मुझको बतलाई है ll
ये उजले - उजले चेहरे देखों, अंदर से कितने सियाह है ll
अंजान बने खड़े हैं ऐसे, जैसे कुछ भी ये ना जाने हैं l
हर चेहरे के भाव अलग हैं ,अब आके हम पढ़ पाएं हैं ll
ये उजले- उजले चेहरे देखों, अंदर से कितने सियाह हैं ll
संग- संग चलते हैं सब पर अंदर के राज निराले हैं l
समझ रहे हैं खुद को ऐसा, जैसे हम यहाँ अनजाने हैं ll
ये उजले - उजले चेहरे देखों, अंदर से कितने सियाह हैं ll
चमक बिखेरे ऐसी अपनी ,जैसे सबको ही भटकाए हैं l
खबर नहीं है उनको अब तक, चेहरों के राज कहाँ छुप पाएं हैंll
ये उजले - उजले चेहरे देखों, अंदर से कितने सियाह हैं ll
एक- एक चेहरा देखों, यहाँ पर कितने नकाब चढ़ाता है l
अब जाकर जाना यारों दुनिया कितना बड़ा झमेला(धोख़ा) है ll
ये उजले- उजले चेहरे देखो अंदर से कितने सियाह हैं ll
मैं भी उनमें शामिल हूँ मुझ में भी यहीं बुराई है l
पर मान के बात मैंने ये देखो, खुदा की खुदाई अपनाई है ll
ये उजले- उजले चेहरे देखो अंदर से कितने सियाह हैं
