हृदय से पुकार कर
हृदय से पुकार कर
हृदय से पुकार कर एक बार तुम यह कह दो ना।
झूठ थी गुस्सागारी हृदय ने की थोड़ी सी मक्कारी।।
गुजर रहा था जिस रस्ते से दिल ने कर दी भूल जरा सी।
दिल ने जाने क्यों ठानी ली बैर भरी तेरे संग रार पुरानी।।
छोड़ों भूल जाओ सब बीती बातों की तकरार हमारी तुम्हारी।
शुरू करो मिल कर आओ जीवन की मीठी मधुर कहानी।।
खिल उठेगा घर आंगन खुशियां बुन देगी धागों में स्नेह की लाली।।
आ जाएगा वसंत का मौसम झूम उठेगी फूल संग डाली।।
आओ आज करे यह वादा नहीं दोहराएंगे अहम का बाजा।
नरम गरम रिश्तों को देंगे एक परिपक्व ठहराव भरा वादा।।
मिलकर बैठेंगे बात करेंगे नहीं कसेंगे तंज एक ना आधा।।
रंग लेंगे जीवन को एक ही रंग में ना कोई कम ना कोई ज्यादा ।।
