सच्चा स्वार्थी
सच्चा स्वार्थी
सच्चा स्वार्थी हूँ,
मैं जो सिर्फ अपने बारे में ही नहीं
दूसरों के बारे में भी सोचता हूँ,
हाँ मैं स्वार्थी हूँ।
जो सिर्फ खुद की खुशी नहीं ढूंढता,
दूसरो की होठों पर भी मुस्कान चाहता हूँ।
जो सिर्फ अपनी फुलवारी
में ही रंग- बिरंगे फूल नहीं,
दूसरों की बगिया में भी
लहलहाती हुई फसल चाहता हूँ ।
हाँ, मैं सच्चा स्वार्थी हूँ।
जो सिर्फ अपने पेट के बारे मेंं ही 
;नहीं,
दूसरों के भूख को समझता हूँ।
मैं भी लड़खड़ते हुए कदमों को
समतल भूमि देना चाहता हूँ।
कँपकँपाती हुई होठों को
अपनी आवाज देना चाहता हूँ।
हाँ, मैं सच्चा स्वार्थी हूँ,
जो लाचारों की लाठी बनना चाहता हूँ।
अंधियारे में जी रहे लोगों के जीवन में
उम्मीद की लौ जलाना चाहता हूँ।
हाँ, मैं सच्चा स्वार्थी हूँ। मैं स्वार्थी हूँ।