सब कुछ बदल सा गया है
सब कुछ बदल सा गया है

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इस क़दर उदासी
इन फ़िज़ाओं मे पहले तो न थी
इस क़दर बेरूख़ी
इन हवाओं मे पहले तो न थी
ये शाम जिसके आने से
कभी दिल खिल उठा था
इस क़दर खामोश
ये पहले तो न थी
ये रात जिसका हर लम्हा
कभी अपना सा लगा था
इस क़दर अंजान
ये पहले तो न थी
इक तुम क्या गये
ज़िंदगी से "इंदर"
सब कुछ
बदल सा गया है