STORYMIRROR

AVINASH KUMAR

Romance Tragedy

4  

AVINASH KUMAR

Romance Tragedy

मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था

मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था

1 min
256


लिए थे जिस दिन तुमने सात फेरे

मेरे जीवन मे घिर आये थे अंधेरे

तुम्हें तो रौशनी का घर मिला था

एक खूबसूरत सा सफर मिला था

मगर मेरा हर एक सपना उसी दिन

एक झटके में झूठा हुआ था तुम्हें क्या पता

मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता।


बसाई तुमने थी एक नई बस्ती

मिटाई थी अपने दिल में मेरी हस्ती

तुम अपनी रूह से मुझको छुड़ा रहीं थीं

और अपने मेहंदी के रंग पे इतरा रहीं थीं

मेरी ज़िंदगी का हर एक रंग उस दिन

अपनी दीवार से छूटा हुआ था तुम्हें क्या पता

मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता।


मेरे हिस्से में बस आँसू बच गए थे

तुम्हारे धरती गगन सब सज गए थे

मुझे है याद अब तक जो कुछ हुआ था

तुम्हारा भगवान तुम पर खुश हुआ था

मगर मेरा तो रब उसी दिन से

मुझसे रूठा हुआ था तुम्हें क्या पता

मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता।


धीरे धीरे मैंने अब ख़ुद को है बनाया

एक मुकम्मल जहान है खुद का बसाया

वो पुराने दिन अब कुबूल नहीं सकता

मगर वो दिन भी मैं भूल नहीं सकता

मेरे सपनों का शहर किसी ने

हर तरफ लूटा हुआ था तुम्हें क्या पता

मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता।




Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance