मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था
मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था
लिए थे जिस दिन तुमने सात फेरे
मेरे जीवन मे घिर आये थे अंधेरे
तुम्हें तो रौशनी का घर मिला था
एक खूबसूरत सा सफर मिला था
मगर मेरा हर एक सपना उसी दिन
एक झटके में झूठा हुआ था तुम्हें क्या पता
मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता।
बसाई तुमने थी एक नई बस्ती
मिटाई थी अपने दिल में मेरी हस्ती
तुम अपनी रूह से मुझको छुड़ा रहीं थीं
और अपने मेहंदी के रंग पे इतरा रहीं थीं
मेरी ज़िंदगी का हर एक रंग उस दिन
अपनी दीवार से छूटा हुआ था तुम्हें क्या पता
मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता।
मेरे हिस्से में बस आँसू बच गए थे
तुम्हारे धरती गगन सब सज गए थे
मुझे है याद अब तक जो कुछ हुआ था
तुम्हारा भगवान तुम पर खुश हुआ था
मगर मेरा तो रब उसी दिन से
मुझसे रूठा हुआ था तुम्हें क्या पता
मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता।
धीरे धीरे मैंने अब ख़ुद को है बनाया
एक मुकम्मल जहान है खुद का बसाया
वो पुराने दिन अब कुबूल नहीं सकता
मगर वो दिन भी मैं भूल नहीं सकता
मेरे सपनों का शहर किसी ने
हर तरफ लूटा हुआ था तुम्हें क्या पता
मैं उस दिन कितना टूटा हुआ था तुम्हें क्या पता।

