इस प्यासे को समंदर प्यास अपनी दे दो इस प्यासे को समंदर प्यास अपनी दे दो
बुझ रही है लौ इस जीवन के ऊजाले में, सिमट रहा है इंसान अंतिम सांसों के निवाले में। बुझ रही है लौ इस जीवन के ऊजाले में, सिमट रहा है इंसान अंतिम सांसों के निवाले ...
एक ढिबरी जो रह रह के बुझ जाया करती थी एक ढिबरी जो रह रह के बुझ जाया करती थी