एक सवाल पूछता हूं तुमसे,क्यों?
एक सवाल पूछता हूं तुमसे,क्यों?
एक सवाल पूछता हूं तुमसे,
तुमने क्यों मुझको ये ज़ख्म दिया?
मैं तो तुम्हारा ही था सदा,
फिर भी तुमने साथ क्यों छोड़ दिया?
मैंने तो तुम्हारा कभी बुरा नहीं सोचा,
फिर भी तुमने मुझको क्यों अन्दर से तोड़ दिया?
चालबाजी मैंने नहीं की तुमसे कभी,
फिर भी तुमने क्यों ये छल-प्रपंच रचाएं?
मैंने तुम्हारे लिए सब कुछ किए,
फिर भी तुमने क्यों बेबफाई दिखाई?
चाहता था तुमको दिल से,
फिर भी तुमने ना जाने क्यों दिल तोड़ दिया?
तुमको बचाया जिस जालिम दुनिया से,
तुमने उसी में मुझे अकेला क्यों छोड़ दिया।
मैंने तुमको आगे बढ़ना सिखाया,
तुमने ना जाने क्यों मुझे ही पीछे छोड़ दिया?
मैंने तुम्हारे आंसू पोंछे सदा,
तुमने ना जाने क्यों मुझे ही रोता छोड़ दिया?
साथ रहा मैं हर दफा तुम्हारे,
फिर भी ना जाने क्यों तुमने मुझे तन्हा छोड़ दिया ?
अब नींद नहीं आतीं मुझको इन बेबस रातों में,
तुमने मेरे दिल को इतना क्यों झकझोर दिया?
अब भरोसा नहीं कर पाऊंगा किसी पर,
तुमने क्यों मेरा ऐतबार इस कदर तोड़ दिया?
तुम चले गये तब भी बहुत दूर मुझसे,
जबकि मैंने तुम्हारे लिए अपना सब कुछ छोड़ दिया।
मौत का इंतजार कर रहा हूं अब मैं,
तुमने क्यों मेरे साथ जीना छोड़ दिया?
क्यों किया तुमने ये सब मेरे साथ?
क्यों? क्यों? क्यों?

