"मैं शहर हूँ मैं गांव से बहुत आगे निकल चुका हूँ , गांव को तो मैं हजार कदम पीछे छो "मैं शहर हूँ मैं गांव से बहुत आगे निकल चुका हूँ , गांव को तो मैं हजा...
छोड़ दो बुआई खुशी स्वचालित है। छोड़ दो बुआई खुशी स्वचालित है।
हमने सवेरे जी लिये और शामें ढलती छोड़ दीं फिर चराग़ों को बुझाके आँखे जलती छोड़ दीं हमने सवेरे जी लिये और शामें ढलती छोड़ दीं फिर चराग़ों को बुझाके आँखे जलती छोड...
और जब हम थक जाते हैं दुहरा -दुहराकर , फिर उसे ही पचासों बार हमसे लिखवाते हैं। और जब हम थक जाते हैं दुहरा -दुहराकर , फिर उसे ही पचासों बार हमसे लिखवाते हैं।
मुझे डर है, कहीं फूट न जाऐं मज़हबी दंगो में दबकरफिर भी कहाँ जाऐगा जात पात के चंगुल से बचकरक्या, मा... मुझे डर है, कहीं फूट न जाऐं मज़हबी दंगो में दबकरफिर भी कहाँ जाऐगा जात पात के च...
इस दहलीज़ पे आकर खिड़कियां छोड़ आए हैं। जवानी आई तो आंगन की चिड़ियां छोड़ आए हैं। इस दहलीज़ पे आकर खिड़कियां छोड़ आए हैं। जवानी आई तो आंगन की चिड़ियां छोड़ आए ...