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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Others

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

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शहर और गॉंव की तकरार

शहर और गॉंव की तकरार

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"मैं शहर हूँ

मैं गाँव से बहुत

आगे निकल चुका हूँ ,

गाँव को तो मैं

हजार कदम पीछे

छोड़ चुका हूँ !!"


"मैं विकसित हूँ

सारी सुविधाएँ

मुझको पहले मिलीं,

बिजली ,पानी

सड़क माकान

और सौगातें मिलीं !!"


"सम्पन्नता की

सीढ़ियों पर

मैं चढ़ता चला गया ,

इस तरह साँप -सीढ़ी

खेल में गाँव को

पीछे छोड़ता चला गया !!


"खान -पान में

मैं सदा परहेज

करता हूँ ,

मुझे किसी से

क्या लेना

मैं संयम से रहता हूँ !!"


गांव ने भी

विनम्रता से अपनी

बात सहजता

से यूँ कहा ,

छू गया सबके

ह्रदय को और

सबको भा गया !!


"हम सुन रहे थे

शहर की

विवेचना ,

हम नहीं करते

कभी किसी की

आलोचना !!"


हम भले सुख-समृद्धि

से वंचित हैं !

पर समाज के उत्थान

के लिए हम

चिंतित हैं !!"


यहाँ विपदा

किसी को

छू भी लेती है कभी भी ,

स्नेह और सत्कार

से बोझ सबकी

हम उठाते हैं तभी ही !!


हम एक दुसरे

के पूरक सदा

बनकर रहे हैं ,

सुख में भी साथ

रहकर दुःख में

पर्वत बने हुए हैं !!


अब हमें निर्णय

स्वयं करना होगा ,

कौन आगे बढ़

रहा यह सोचना होगा !!


कौन है आगे यहाँ पर

कौन पीछे रह गया ?

कौन कितना करीब है ,

निर्णय हम पर रह गया l


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