रूठी हुई खुशियां
रूठी हुई खुशियां
क्यूं खुशियाँ हम से रूठी रूठी रहती है?
हमारे पास वो रुकती ही नहीं
क्यों बार बार अपनी झलक दिखा के,
हम से मुंह मोड़ लेती है.
क्यूं खुशियां हम से रूठी रूठी रहती है?
हमने मनाया उस को,
हम ने जताया उस को,
हम ने तो उसे दिल में जगह भी दे दी,
फिर भी हम से रूठ कर क्यूं चली जाती है?
एक पल की मुस्कुराहट देकर,
एक हजार अश्क दिला के,
वो हम से रिश्ता तोड़कर क्यूं चली जाती है?
हमने तो हँसते होंठों से स्वागत किया था उन का,
मुस्कान के मोती ओ की माला भी पहनाई,
फिर भी वो हम से रूठ कर हम से नाता तोड़ कर,
क्यूं चली जाती है?
