एकतरफा प्रेम
एकतरफा प्रेम
हम ना जाने कब उनसे प्यार कर बैठे
दिल ही दिल में जाने कब इसरार कर बैठे
उनके बालों, गालो, लबों से इश्क हो गया
एक मुस्कान पे ही ये दिल फिदा हो गया
आंखों में उन्हीं की सूरत लबों पे नाम उसका
रोज निकल रहा था अब तो दीवाला दिल का
इश्क करना आसान है मगर इजहार नहीं
सच में बड़े डरपोक थे बहादुर यार नहीं
वे आंखों की जुबां समझ ना सके
हम अपने लबों से कुछ कह ना सके
एक दिन वो घर पे आये, समां बदल गया
शादी का कार्ड देख के दिल दहल गया
वे ठाठ से शादी रचा के घर से निकल लिए
हम आज भी घूम रहे हैं उन्हें यादों में लिए हुए ।

