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Dinesh Dubey

Tragedy

3  

Dinesh Dubey

Tragedy

अजीब परिस्थिति

अजीब परिस्थिति

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फंस गए एक अजीब परिस्थिति में

ना कल का ठिकाना न परसो का 

कभी करोंना का आना कभी ओमिक्रोन

मिले है सबको बहाना जिनसे है पैसे आना

सभी हैं त्रस्त हर कोई है पस्त 

जब भी सर उठता सबका

एक नया ओरिएंट आ बैठता

लगता है अब आकाओं ने 

कर लिया है तय

अब उठने ना देना इनको 

चाहे कितनी भी लगा ले दम

फस गए है एक अजीब परिस्थिति में

हमारी सुने न कोय ,ईश्वर भी आंखे मूंदे 

बैठ गए हैं अब ,

कहते है हम तो पहले से ही है बंद 

बहुत उछल रहे थे तुम सब ,

बनते थे ईश्वर सभी , 

अब अपनी अपनी देखो

कुछ दिन मैं भीं करता आंखे बंद

फंस गए हैं एक अजीब परिस्थिति में।



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