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Harsh Singh

Inspirational

3  

Harsh Singh

Inspirational

पता नहीं ?

पता नहीं ?

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मीलों दूर निकल आये हैं रास्तों का कुछ पता नहीं 

चलते चलते थक गए हैं प्यास कहीं बुझा नहीं 

मंजिल को अभी ढूँढ रहे हैं राहत कहीं मिला नहीं 

सपने रोज़ाना देख रहे हैं सपने पूरे हुए नहीं 

जंग नयी एक लड़ रहे हैं परिणाम अभी मिला नहीं 

फूल अभी खिल रहे हैं इत्र को मैंने छुआ नहीं 

हालात सबके बिगड़ रहे हैं बग़ावती अभी झुका नहीं 

धीरे धीरे बदल रहे हैं हवा जो कभी दिखा नहीं 

कपड़े नए पहन रहे हैं विचार कभी डिगा नहीं 

भविष्य सबका बना रहे हैं इतिहास कभी पढ़ा नहीं 

तेवर सबके उतर रहे हैं घमंड कभी किया नहीं 

लाठी डंडे बरस रहे हैं कर्म से पीछे हटा नहीं 

अपने अपनत्व खो रहे हैं भेड़िया कभी मिला नहीं 

दम अपनों का घोंट रहे हैं दोषी अभी मिला नहीं ।


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