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Harsh Singh

Romance

4  

Harsh Singh

Romance

चल घर चलें

चल घर चलें

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खुद को तेरी उंगलियों पे नचाना है 

छतों को तेरी सीढ़ियों से सजाना है 

धोखे को वफ़ा का अंजाम बताना है 

जो ना हुआ अब वो करके दिखाना है 


गुज़र गयी रातें हो गया दिन चल घर चलें मेरे हमदम 

जो तेरे साथ को तरस गए हम ये क्या हुआ मेरे हमदम 

मिली जो बारिश बरस गए हम चल फिर चलें वहीं हमदम 

हवा जो चलती है धीरे कम चल बह चलें कहीं हमदम 

रातों को आयेगी नींदें कम चल घर चलें मेरे हमदम 


तेरी अदाओं से घायल होना है 

साँसों से आस बढ़ाना है 

तेरी तपन से खुद को जलाना है 

मिला जो तोहफ़ा वो देना है 


बदला जो मौसम बदल गए हम चल घर चलें मेरे हमदम 

मैं जो था वो हो गए तुम चल घर चलें मेरे हमदम 

दिल में ही थे और रह गए तुम चल फिर चलें मेरे हमदम 

छोड़ेंगे ना दामन तेरे सनम चल घर चलें मेरे हमदम 

गुज़र गयी रातें हो गया दिन चल घर चलें मेरे हमदम 

मिली जो बारिश बरस गए हम चल फिर चलें वहीं हमदम 

रातों को आयेगी नींदें कम चल घर चलें मेरे हमदम ।


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