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Bhanu Soni

Tragedy

4  

Bhanu Soni

Tragedy

वो मेरा भारत कहाँ है? ( गाँधी जयन्ती पर विशेष)

वो मेरा भारत कहाँ है? ( गाँधी जयन्ती पर विशेष)

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आया हूँ, फिर से एक बार, 

मातृभूमि पर, लेकिन मुद्दतों बाद, 

एक दृश्य दिखाई देता है, 

पहने हुए लेकिन कलेवर नया 

जिसमें हृदय हमारा बसता था, 

वो वतन हमारा कहाँ हैं?


ये देखो, दशा दुर्बल की 

कितना हताश परेशान सा है। 

जकड़ा हुआ हैं, शोषण के शिकंजों में, 

खुद अपनी स्थिति का गुलाम सा है।

याद आता है मंजर वो भी बहुत 

जब उसके खेतों में हरियाली थी, 

जो जीता था, अपनी सब्ज़ पूंजी में, 

वो वर्ग सर्वहारा, प्यारा कहाँ हैं।। 


यूं तो पूजते है, मुझ को देशवासी 

बापू कहकर बुलाते है, 

अवसर आने पर लेकिन 

उन सिद्धांतों को क्यूँ भूल जाते हैं,

जिस पर जीता था मेरा वतन

और सत्य के लिए मरता था 

अहिंसा परमों धर्म का नारा 

जिनकी आत्मा को पुलकित करता था, 

वसुधैव को कुटुम्ब मानने वाला 

वो सदन विशाल अब कहाँ हैं? 


अब नारी तेरी भी ऐसी दशा 

मुझ से देखी नहीं जाती हैं 

घर के हाथों ही तेरी अस्मत 

पालने में ही लूट ली जाती हैं। 

कहाँ गया हमारा वो नारा 

नारी के सम्मान का? 

भक्षक बना है देखो पूरा जग

उसके आत्मसम्मान का 

हृदय से पूजी जाती थी देवी जहाँ 

प्रतिमा की बारी बाद में आती थी 

नारी की रक्षा का प्रहरी, 

सुरक्षित भारत अब कहाँ हैं।। 


खेल नहीं है, संविधान कोई 

जो बना दिया, और खत्म हुआ

शुरू हुई थी यही से जिम्मेदारी अपनी ,

अपने हितों के साथ आप ही

तुमने क्या किया? 

मैं नहीं हूँ यहाँ, लेकिन सब

मुझ को दिखाई देता है, 

सरल जन वंचित हैं 

अपने अधिकारों से 

प्रतिनिधि अपना घर भर लेता है। 

देखकर तेरी ये दीन दशा 

मेरा मन अशांत हो उठता है ।

जैसे सपनों का कोई महल

एकाएक चकनाचूर हो टूटता है।


एक अरदास है, सबसे जरा सुनों! 

यूँ अपनी पीढ़ियाँ, बर्बाद ना करो 

ये भारत कितने संघर्षो की कहानी है, 

निजी स्वार्थ में नज़रअंदाज़ ना करो,

हम तब भी गौरवशाली थे 

हम अब भी गौरवशाली हैं। 

अपनी क्षमता का भान करो

अपनी धरोहर का मान करो

मैं मोहनदास करमचंद गाँधी

आपसे अनुनय विनय करता हूँ।। 


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