बेजा़र दिल
बेजा़र दिल
मन के आलिंगन सा रूप था,
कोमल भावनाओं का पुंज था,
इक आहट हुई, और टुट गया,
ये इश्क़ इतना कमजोर तो न था,
टुटा हर एक स्वप्न मेरी आँखों का,
पर तुमने किया तो ठीक ही होगा।।
एक रिश्ता हुआ था, खत्म अभी,
वो जिसके होने की उम्मीद भी न थी,
अश्कों का सागर बहता है, आँखों से,
जीवन में जैसे कोई विकल्प नहीं,
उस मुकाम पर आ खड़े हैं, हम
खुद साया भी अपने साथ नहीं,
वजह हो चाहे कोई भी,
तुमने किया तो ठीक ही होगा।।
याद आता है, वो वक्त बहुत,
जिसे हमने साथ में जिया था,
मुस्कुराते लबों का मंजर था,
जिसे जीवन भर जीने की ख्वाहिश थी,
तुम तोड़ गये वो आस मेरी,
अब शिकायत भी मैं क्या करु?
तुमने किया तो ठीक ही होगा।
बेजार है दिल, किससे मैं कहूँ
और रह जाऊँ चुप तो भला
कैसे में सहूँ??
ये जख़्म भी तो आम नहीं,
चलों ये सोच रख लूँगी मैं,
वफा का ये ईनाम सही,
ये दर्द है, जो ना कभी खत्म होगा,
पर! तुमने दिया तो ठीक ही होगा।।