स्वतंत्रता से एक दिन पूर्व (14अगस्त)
स्वतंत्रता से एक दिन पूर्व (14अगस्त)
अगस्त की 14 तारीख़,
देखकर मन में ख्याल आया।
क्या मनोदशा रही होगी, सभी की
जब यह पर्व पहली बार आया।
सैकड़ों बलिदानो की यह सौगात थी,
कितने मस्तको के पवित्र सिंदूर की यह खाक थी,
उजडे थे जाने कितने ही घर,
कितने मजहबो की टकरार थी।
ऐसे ही क ई मलिन मुखो पर,
अरसों से जब निखार आया।
क्या उमंग रही होगी, विचारों में,
जब यह दिन पहली बार आया।
माना मुश्किल है, शब्दों में,
उनकी उत्सुकता को बतला पाना,
मुश्किल है मापन उमंगो का,
हृदय की तडपन को समझा पाना
क्या अंदाज रहा होगा, दृष्टि का,
जब तिरंगा पहली दफा उनके हाथ आया।
आजाद राष्ट्र के जितने सपने
अपनी आँखों में संजोये थे,
क्या तरंग रही होगी, मन में उनके
जब आजादी का यह पर्व पहली बार आया
15 अगस्त जब पहली बार आया।