माँ जैसा कोई नहीं
माँ जैसा कोई नहीं


ममता का आँचल सम्भाले हुए
अपनी आँखों में, हमारे लिए सपने
संजोती है,
हमारी खुशियों के लिए हँसती है,
पल -पल खुशहाली की दुआएं देती हैं,
हमारी नींद के लिए ना जाने कितनी
राते वो सोई नहीं
सच ही कहा हैं, किसी ने
माँ जैसा दुनिया में कोई नहीं।
देखा था, त्याग उसका बचपन में,
जब बोलना भी कहा आता थी,
लगाये सीने से मुझे,
मेरी बलाईयाँ लेती थी,
ये असर ही है, उसकी दुआओं का
जीवन में अनहोनी कभी हुई नहीं
माँ जैसा दुनिया में कोई नहीं।।
लेकिन आज जो हालत है,
उससे कोई, अनभिज्ञ नहीं
हो कैसी भी हालत क्यूँ ना
वह अपने बच्चो को पाल लेती है,
लेकिन निरीह बुढापे में,
माँ को पालने वाला कोई नहीं
दुनियां में माँ जैसा कोई नहीं।।
जिसकी गोद में खेले हम,
जिसने हमें प्यार बेशुमार दिया,
झेलती रही कठिनाइयों को,
कभी हमारे सामने रोई नहीं
दुनियां में माँ जैसा कोई नहीं।।