STORYMIRROR

Bhanu Soni

Tragedy

3  

Bhanu Soni

Tragedy

कोरोना महामारी (एक डायरी बीते दिनों की)

कोरोना महामारी (एक डायरी बीते दिनों की)

1 min
32

एक परिदृश्य फैला है, कहर का, 

जिसमें जीवन जैसे रुक सा गया है, 


एक रिश्ता बनाये रखने को, 

अब हम दूरी बनाये चलते हैं। 


माना कुछ गति ठिठक गयी हैं 

उडानों के आसमान की, 

वक्त बना है कड़ी परीक्षा का 

इसलिए हम इक दूजे का 

साथ निभायें चलते हैं। 


एक छोटे से जीव ने 

जीवन ही घरों में बांध दिया, 

बंद हो चुके काम धंधे अब, 

कोरोना ने नर संहार किया। 


जो जीवित हैं, भयभीत है सब 

कहीं अगली बारी उनकी न हो

इन बातों से परे, हमारे चिकित्सक है,

कोशिश यही है कि, 

अब कोई जीवन लाश ना हो। 


चहल-पहल सा हँसता हुआ शहर,

शमशान की भांति विरान सा है, 

और सुनसान हैं मन का कौना भी

जो अब तक अपने से अनजान ही था।


मायूसियों की फिर भी बात नहीं 

हम बंधे है, एकता के सूत्र में 

तो डरने जैसी कोई बात नहीं 

संकट का आना-जाना जीवन है 

ये परीक्षा की घड़ी सही 

पर हमारा मनोबल भी प्रबल है। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy