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Dr Jogender Singh(jogi)

Tragedy

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Dr Jogender Singh(jogi)

Tragedy

मगरमच्छ के आँसू

मगरमच्छ के आँसू

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नमी नाम की, कुछ जोड़ी आँखों में देखी गई। 

और अख़बार में यह ख़बर भी छप गई। 


एक आँगन सूना हो गया, 

उस माँ का लाल खो गया। 

बाँहें फैलाये खड़ी थी, उसको गले लगाने को। 

प्यार से पास बिठा, खाना खिलाने को। 

सूखी बेजान आँखों से द्वार निहारती,

कुछ आँखों की बनावटी नमी से,

उस माँ का प्यार हल्का हो गया। 


टूट जाएंगे जो वादे, उन वादों के शोर से,

पत्नी की टूटती चूड़ियों का शोर खो गया। 

वो रोती रही एक कोने में, अकेले। 

ज़माना झूठ में रोने वालों के संग हो गया। 



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