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Jalpa lalani 'Zoya'

Tragedy

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Jalpa lalani 'Zoya'

Tragedy

हालात से मोहब्बत कर ली

हालात से मोहब्बत कर ली

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अब हालात-ए-हयात का ज़िक्र करने से क्या फायदा 

ऐसा होगा जैसे ज़ख्मों को बार-बार कुरेदना 

अब तो अपने ख़्वाबों की खुदकुशी कर ली है 

हालात की रस्सियों पर लटक कर। 


हर पल में ख़ुशियाँ ढूंढ ली है मैंने 

ज़िंदगी इतना धैर्य सिखा गई मुझे 

अक्सर ना उम्मीद बन गई थी ऐसे हालात से 

मुँह तो नहीं फेर सकती थी तो मोहब्बत ही कर ली उससे। 


जितना लिखूं उतना कम है 

शायद मेरा सबसे बड़ा ग़म है 

ऐसा ही सोचती रही मैं जब तक 

औरों के बदतर हालात देखे नहीं थे। 


style="color: rgb(0, 0, 0);">मेरे हालात ने जो ज़हर दिया 

अमृत समझकर पी गई मैं 

ज़हर पीती तो शायद मर जाती 

अब तो मर कर भी जी गई मैं। 


उन हालात में ख़ुदा ने मुझे गोद में लिया था 

मेरे नहीं थे वो उसके ही क़दमों के थे निशां 

तू मत डर हालात से रख तू हौसला 

तू मत भूल है उसकी जो मर्ज़ी सिर्फ़ वही है होता। 


रख तू यकीन उस ख़ुदा पे 

वो तेरे आसपास ही है कहीं पे 

मान ले इन मुश्किलों को उसकी दुआ 

गर अंधेरा है तो एक दिन होगी भी सुबह। 

 



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