रोती है कभी कभी बच्चा बन कर रोती है कभी कभी बच्चा बन कर
हर एक पल खुद को कोसती हूं क्यों होते हैं लोग इतने मतलबी, हर एक पल खुद को कोसती हूं क्यों होते हैं लोग इतने मतलबी,
कौन सुने जंगल का दुखड़ा गौरैया का धर भी उजड़ा कौन सुने जंगल का दुखड़ा गौरैया का धर भी उजड़ा
कुछ आँखों की बनावटी नमी से, उस माँ का प्यार हल्का हो गया। कुछ आँखों की बनावटी नमी से, उस माँ का प्यार हल्का हो गया।
जिनको प्राणों से प्यारी भारत की माटी होती है। जिनको प्राणों से प्यारी भारत की माटी होती है।
भारत माँ अब बेबस है और अंदर ही अंदर रोती है। भारत माँ अब बेबस है और अंदर ही अंदर रोती है।