सरहद जाने वाले
सरहद जाने वाले
"ध्रुवतारा" बनने की ख़ातिर
नयनी तारे जाते हैं ,
वीर बहूटी के सरहद पर
प्राण प्यारे जाते हैं ।
सरहद पर जाने वाली
अंधे की लाठी होती है,
जिनको प्राणों से प्यारी
भारत की होती है।
सरहद पर जाने वाली
एक कलाई होती है,
रेशम धागा ले हाथों में
"माताजाई" रोती है।
सरहद जाने वाली
"अम्बर की परछाई "होती है ,
भान नहीं होता है जिनको
वो जाने भी रोती हैं।