वही योद्धा भारत माता का रक्षक
वही योद्धा भारत माता का रक्षक
वही योद्धा भारत माता का रक्षक बन पाता है
मुंह अंधियारे उठता है वह
जीत का बिगुल बजाने को ,
खून पसीना एक कर रहा
झंडे को फहराने को ,
भारत मां का रक्षक बनने में
जी जान लगाता है
वही योद्धा भारत माता का
रक्षक बन पाता ।।
मुफलिसी की रहे यातना
या पैरों में छाले हों ,
गर्म हवाएं सर्द हवाएं
या फिर बादल काले हो ,
" मेहनत के पानी " में जो भी
दिन-रात नहाता है
वही योद्धा भारत माता का
रक्षक बन पाता है ।।
त्याग समर्पण करने की भी
जिसमें कला अनूठी हो ,
संयम रखने वाली जिसमें
कोई क
ला न छूटी हो ,
जो शूलों की राहों पर
खुद को दिन-रात चलाता है
वही योद्धा भारत माता का
रक्षक बन पाता है ।।
जुबां पे जिसकी साँझ सवेरे
भारत मां के नारे हों ,
भारत के सम्मान से ज्यादा
अपने प्राण न प्यारे हों ,
ओज गुणों की छटा को जिसका
रोम रोम छलकाता है
वही योद्धा भारत माता का
रक्षक बन पाता है ।।
जिसकी आंखों में भी दुश्मन की
खातिर अंगारे हो ,
जिसके खून के हर कतरे में
इंकलाब के नारे हों ,
जो पथरीली राहों पर भी
बज्जर काय दिखाता है
वही योद्धा भारत माता का
रक्षक बन पाता है ।।