भारत की रणचंडी
भारत की रणचंडी
वो हुंकार रही फफकार रही
वो शरहद पर ललकार रही ,
वो रण चंडी है भारत की
हर क्षेत्र में शरहद पार रही ।
इतिहास वो रचने वाली है
वो दुर्गा है माँ काली है ,
भारत में जन्मी हर बेटी
इतिहास बदलने वाली है ।
वो खेतों में खलिहानों में
वो उतर गई मैदानों में
डँटकर हर क्षेत्र सँवार रही ,
वो रणचंडी है भारत की
हर क्षेत्र में शरहद पार रही ।
खेलों में नेतृत्व करती है
न हार जीत से डरती है ,
निश्चय है उसका एक लक्ष्य
वह विजय प्राप्ति करती है।
नारी शक्ति है शांत अभी
जो जाग गयी तो काली है ,
दुष्टि नर मुंडों को काटे
वो खप्पर भरने वाली है।
इक्कीस सदी भारत की नारी
भारत का अभिमान है ,
सर्वश्रेष्ठ है नारी जिससे
दुनिया की पहचान है ।।