सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
अधिष्ठात्री ज्ञान की देवी,
विनती तुम स्वीकार करो।
हे मां शरण खड़ा हूं तेरी,
थोड़ा सा उपकार करो।।
वेदों का भंडार तुम्हारा,
ज्ञान दीप की ज्वाला हो।
वीणापाणि हे मां शक्ति,
तुम सरगम की माला हो।।
हे मां वंदन करूं तुम्हारा,
ज्ञान मेघ बरसा देना।
मैं विषाद अज्ञानी माता,
मुझको भी हर्षा देना।।
हंस वाहिनी ज्ञान की देवी,
तुम्हें मनाने आया हूं।
मैं जीवन के अंधकार में,
दीप जलाने आया हूं ll
हे कल्याणी कंठवासनी,
मेरा भी उद्धार करो।
अंधकार में डूब रहा हूं,
मेरा बेड़ा पार करो।।
कृष्ण ज्ञान की गंगा वेदों,
की भाषा सिखला दो मां।
और पुराणों की वाणी को,
रसप्रवाह करा दो मां।।
चाह नहीं मेरी कोई मैं,
केवल ज्ञान मांगता हूं।
हंस वाहिनी ज्ञान की देवी,
से वरदान मांगता हूं।।
कमलवासिनि मातु शारदा,
तुम्हें मनाने आया हूं।
मैं जीवन के अंधकार में,
दीप जलाने आया हूं ll