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SONU MEENA

Abstract Inspirational Others

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SONU MEENA

Abstract Inspirational Others

हास्य नहीं ला पाता हूँ

हास्य नहीं ला पाता हूँ

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मैं जुबान हूं आसमान की कलमकार कहलाता हूं

मैं शमशीर कलम को और कविता को ढाल बनाता हूं,

मजलूमों की आवाजों को जन-जन तक पहुंचाता हूं

शायद इसीलिए कविता में हास्य नहीं ला पाता हूं।।


मैं शब्दों से राजनीति के घुंघरू नहीं बजा पाता

मैं आंखों के अंगारों को पानी नहीं बना पाता,

मैं दिनकर का वंशज हूं अपना मजमून सुनाता हूं

मजबूरी से मजदूरी तक किस्सा लिखता जाता हूं।।


मैं लिखता हूं मजदूरों के क्रंदन को

लिखता हूं मैं शूरवीरों के बंधन को

मैं लिखता हूं भूमि पुत्र की आहों को

मैं लिखता हूं शूलों वाली राहों को।।


मैं शब्दों में केवल बेबस की चीखें लिख पाता हूं

शायद इसलिए कविता में हास्य नहीं ला पाता हूं।।

मेरे शब्दों में केवल ऐसे जन नायक बसते हैं

जो भारत भू को गर्वित करके इतिहास को रचते हैं,

कलम की स्याही भी मेरी उन पर ही फैला करती है

जो रहकर भारत में ही भारत को मैला करते हैं।।


मैं लिखता हूं एक नसीहत घर के थाली छेदी को

लिखता हूं मैं एक नसीहत घरवाले ही भेदी को

मैं लिखता हूं एक चुनौती काफिर की ललकारो को

मैं लिखता हूं एक चुनौती सरहद पर यलगारो को।।


मैं अपने शब्दों में गोली की बौछारें लाता हूं

शायद इसीलिए कविता में हास्य नहीं ला पाता हूं।।

किसी सुंदरी की सुंदरता पर मुझको छंद नहीं आते हैं

मुझको राष्ट्रद्रोह वाले कोई आबंध नहीं भाते हैं ,

मुझको केवल राष्ट्रीय हितैषी भारतवासी भाते हैं

मानव में मानवता वाले वीर साहसी भाते हैं।।


मैं लिखता हूं एक नसीहत धर्म के ठेकेदारों को

लिखता हूं मैं एक नसीहत पालक भ्रष्टाचारियों को

मैं लिखता हूं सजा मौत उन मासूमों के शोषक को

मैं लिखता हूं सजा मौत उन कौम के काफिर पोषक को।।

कलम की स्याही से दुश्मन को मैं फांसी चढ़वाता हूं

शायद इसीलिए कविता में हास्य नहीं ला पाता।।



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