न ऊँचाई से गिरने का भय बस चलती रही मैं तुमसे मिलने की अकुलाहट लिए न ऊँचाई से गिरने का भय बस चलती रही मैं तुमसे मिलने की अकुलाहट लिए
ना रुकना है ना थकना है बस निरंतर चलते ही जाना है ना रुकना है ना थकना है बस निरंतर चलते ही जाना है
यही संकल्प कर ले तू फिर आना कुंभ मेला। यही संकल्प कर ले तू फिर आना कुंभ मेला।
जहां अहसासों का बसेरा है जो घर तेरा है ! जहां अहसासों का बसेरा है जो घर तेरा है !
ग़लती तुम मत करना, कठोर निष्ठुर भी मैं बन जाता हूँ ग़लती तुम मत करना, कठोर निष्ठुर भी मैं बन जाता हूँ
दुनिया की परवाह अब इसको ना होती ये हर अंग से तेरा सखा बन गया है। दुनिया की परवाह अब इसको ना होती ये हर अंग से तेरा सखा बन गया है।