नदी की आत्मकथा
नदी की आत्मकथा
1 min
333
मैं नदी हूँ
चलना मेरा काम
बाधा आए या आंधी तूफान
बस चलना मेरा काम
ना रुकना है ना थकना है
बस निरंतर चलते ही जाना है
मुझे भी अच्छा लगता है
साफ सुथरा स्वच्छ रहना
मत करो मुझे यूँ गद मैला
निश्चय करो आज
कूड़ा कूड़ेदान में ही डालोगे अब
मुझे भी रहना है
सूंदर स्वच्छ और साफ
ये प्रण लो सब आज
नदी को स्वच्छ रखोगे
मिलकर साथ।