पत्र जो लिखा
पत्र जो लिखा
बहुत दिनों से तुमसे एक बात कहनी थी
पर शायद समय के साथ खो गयी वो बात
वो खट्टी मीठी बात
एक खूबसूरत सी लड़की की
हा वही जो तुम सोच रही हो
सुनो हां तुम सुन रही हो ना
हां तुम ही
तुम ही से तो कहनी थी ये बात
तुम यूँ ही हँसो, मुस्कुराओ,
गाओ गुनगुनाओ
इस समाज के डर से खुद के
लिए ज़ीना मत छोड़ो
तुम बेख़ौफ़, बेपरवाह
बेबाक सी बन जाओ
लड़ो अपने सपनों के लिए
पा लो एक नया मुकाम।