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Anu Gangwal

Romance Classics Inspirational

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Anu Gangwal

Romance Classics Inspirational

मैं एक नारी हूँ

मैं एक नारी हूँ

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उसका पहला इश्क़ वो खुद थी 

वो खुद को बेहद खूबसूरत मानती थी

बहुत खूबसूरत किसी कवि की कल्पनाओ 


से भी अधिक खूबसूरत

वो जीवन जीना जानती थी

वो ज़िंदगी को नहीं बल्कि

ज़िंदगी उसको जीती थी


थोड़ी शरारती थोड़ी नादान सी वो

बेपरवाह बेखौफ बेबाक सी वो

हँसती ऐसे लगता खिली हो कलिया हज़ार

चाँद सी खूबसूरत सी वो

बारिश की बूंद सी वो


वो कोई और नहीं 

नारी है स्वाभिमानी सी वो।


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