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Anu Gangwal

Inspirational Others

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Anu Gangwal

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सफ़रनामा

सफ़रनामा

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मुसाफिर हूँ चलना मेरा काम 

हर दिन निकलती हूँ

मंज़िल ढूंढने

वो कभी दिखती है

कभी ओझल हो जाती है

जाने क्यों खेलती है

आंख मिचौली मुझसे

लेती है इम्तिहान हज़ार

देखना चाहती है मेरा जज़्बा

हर शाम थक कर लौटती हूँ मैं

पर हर सुबह निकल

पड़ती हूँ

मंज़िल को पाने के लिए

खुद को आजमाने के लिए

खुद का नया आसमां ढूंढने के लिए

क्या करूँ ज़िद्दी हूँ नासमझ नहीं

चलना जानती हूँ रुकना नहीं

जानती हूँ मुसाफ़िर हूँ

मंज़िल पाने के बाद ही लूंगी दम



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