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Anu Gangwal

Romance

4  

Anu Gangwal

Romance

बैरी चाँद

बैरी चाँद

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चाँद तेरा रूप बहुत निराला है 

जो भी तुझे देखे तेरा हो जाता है


मिलो कभी हमसे भी इस तरह

मिलती है चांदनी तुमसे जिस तरह


घंटो बैठकर बातें करेंगे हज़ार

फिर चाय पर बैठकर किस्से सुनाएंगे दो चार


सोचा था सुनेगा कभी तू मेरी भी

करेगा बातें हज़ार मुझसे भी


पर चाँद तू बड़ा बैरी हैजाने क्यूँ

नखरें दिखता है मुझे छोड़ किसी और के

पास चला जाता है।


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