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Anu Gangwal

Fantasy

4.8  

Anu Gangwal

Fantasy

बेरोजगारी

बेरोजगारी

1 min
282


एक कमी उसे भी खल रही थी

दुखी वो भी था इस भीड़ में

देखे थे सपने उसने भी हज़ारों

पाना चाहता था वो भी ऊँचा मुकाम


यहाँ झूठे सपने दिखाकर कोई वोट ले गया

देश का बेरोजगार युवा ये देखता ही रह गया।

माता पिता सभी के साथ देखे थे सपने हज़ारो

कहाँ गए वो ऑफिस

कहा गया वो काम

मुझे भी बढ़ना है आगे


करना है देश के लिए कुछ काम

पर उससे पहले दे दो मुझे काम

नाप नाप के जीवन जी रहा हूँ

लोगो के ताने भरपूर झेल रहा हूँ

मैं भी चाहता हूँ


सर उठा कर जीना

करना चाहता हूँ काम

ये डिग्रियां दिखावे के लिए नही है

मेरे घर वालो ने संजोय है कई सपने

मैं भी काम करना चाहता हूँ

बेरोजगार से कमाऊं बनना चाहता हूं।


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