इंतेज़ार
इंतेज़ार
सोच रही हूँ तुझे कैसे कहूँ
इस दिल की मजबूरी है इसीलिए बताती हूँ
तू ही मेरी चाहत है मगर क्या यह सच है
डरती हूँ तुझे हमेशा के लिए खो दूँगी
मैं तुझे कभी भुला नहीं सकती
मगर यह सच है तू ही मेरी ज़िद है
दिल की हर धड़कन यही कहती है
सिर्फ़ तू ही मुझे समझता है
मेरी हर तकलीफ़ को दूर कर दे मेरी प्यास मिटा दे
यह दिल दिन रात दुआ करता है
पर तू तो एक पंछी की तरह आता है
तेरा ठिकाने का मुझे पता नहीं
मगर यह दिन इसी इंतेज़ार में कटता है
की फिर मुलाक़ात होगी
अगर नसीब में होगा तो तुझे हर जनम पा लूँगी।

