STORYMIRROR

Seema(Simi) Chawla

Romance

4  

Seema(Simi) Chawla

Romance

इंतेज़ार

इंतेज़ार

1 min
238

सोच रही हूँ तुझे कैसे कहूँ

इस दिल की मजबूरी है इसीलिए बताती हूँ 

तू ही मेरी चाहत है मगर क्या यह सच है

डरती हूँ तुझे हमेशा के लिए खो दूँगी

मैं तुझे कभी भुला नहीं सकती 

मगर यह सच है तू ही मेरी ज़िद है

दिल की हर धड़कन यही कहती है

सिर्फ़ तू ही मुझे समझता है

मेरी हर तकलीफ़ को दूर कर दे मेरी प्यास मिटा दे 

यह दिल दिन रात दुआ करता है 

पर तू तो एक पंछी की तरह आता है 

तेरा ठिकाने का मुझे पता नहीं 

मगर यह दिन इसी इंतेज़ार में कटता है 

की फिर मुलाक़ात होगी 

अगर नसीब में होगा तो तुझे हर जनम पा लूँगी।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance