तस्वीर
तस्वीर
इस बनावटी दुनिया के जाल में फँसे हम
कैसे निकले इसकी बनावटी कश्ती से हम
किनारा ढूँढती यह कश्ती नहीं जानती
नहीं मिलेगी इसे कभी हस्ती
क्यूँ बेवजह बनाती यह तस्वीरें जो
रह जाएगी कभी दीवारों पे एक यादगार बन के
ऐसा सोचने पे ज़िंदगी क्यूँ कम करें
क्यूँ ना बनाए हम इसे एक ऐसी याद
जो लोग भूलें नहीं कहे ऐसी थीं यह हस्ती
जिनके चेहरे लाते मुस्कुराहट की छवि
ज़िंदा दिल रहे सदा ख़ुशियाँ बाटते रहे सदा।