आज़ादी का दिन
आज़ादी का दिन
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आज फिर आज़ादी का दिन आया है,
आसमान में लहराया तिरंगा प्यारा है।
शान में जिसके झुक गया विश्व ये सारा है,
इसका मान बनाये रखना अब कर्तव्य हमारा है ।।
इसको पाने की खातिर लाखों ने दी कुर्बानी है,
लिख गए लहू से वो अपने शौर्य की नई कहानी है।
पर उन अमर शहीदों के बच्चों की दुनिया हुई वीरानी है,
लौट के फिर जो आ न सके ये उनकी अमर कहानी है।।
हम बैठे हैं आज घरों में वो सीमा की निगरानी करते हैं,
ऐसे मर मिटने वाले ही देशभक्त और देशबंधु कहलाते हैं
आज़ादी है सबसे बढ़कर हम सबको ये बतलाते हैं,
जिन्दगी को शान से जीने का तरीका सिखलाते हैं।।
पर शायद हम भूल गये उनकी इस गौरव गाथा को,
इसीलिए लड़ते रहते हैं लेकर धर्म और प्रान्त को।
आज जरूरत है फिर से गाँधी और सुभाष की,
देश को जोड़े रखने के लिए वंदे मातरम् गान की।।
देश की आज़ादी में ही पंखों की उड़ान है,
देश की आज़ादी में ही स्वयं की पहचान है।
देश की आज़ादी में ही छिपी हमारी शान है,
देश की आज़ादी में ही कुछ कर गुजरने का भान है।।
क्या आज़ादी का मतलब सिर्फ़ आज़ाद भ्रमण करना है,
या शान बढ़ाने के लिए रूतबे से ऐंठे और बैठे रहना है।
कैसे रहेगी आज़ादी कायम जब सारे भ्रष्टाचारी हों,
अपने तुच्छ स्वार्थ के खातिर लड़ती दुनिया सारी हो।।
दुश्मन माना आज कई हैं पर हम भी किससे कम हैं,
इन सबके मृत्यु विनाश को तैयार रहे हम हरदम हैं ।
अपनी आज़ादी की सोंधी खुशबू को न होने देंगे कम,
इसकी आन बान शान पर सर्वस्व लुटा मर मिटेंगे हम।।
प्रण लें हम अपनी नस्लों को ये अमर कहानी सिखायें,
जिससे उनके निश्छल मन देशप्रेम के भावों से भर जायें।
फिर न कोई चिंता और खतरा होगा, न होगी परेशानी,
मस्तक ऊँचा कर के रह पायेगा एक-एक हिन्दुस्तानी।।
यूँ ही अगर हमारे मन में बहती रहेगी देशप्रेम की रसधार,
अगर हम स्वतंत्रता और स्वदेश भावना को रखेंगे सबसे ऊपर।
तो एक बार फिर हमारा देश दुनिया का सिरमौर बन जायेगा,
हम सबकी जान और शान तिरंगा सबसे ऊँचा लहरायेगा।।