तुम्हारा स्मरण
तुम्हारा स्मरण
छोड़ अपनों के प्रेम की शीतलता, तुम आतंकी ताप में जलते हो,
तुम हो वह वट-वृक्ष जो क्यारियों में नहीं, झंझावातों में फलते हो,
कर्तव्य पथ पर तुम तो, सूरज से पूर्व निकलते हो,
तुम आज़ादी के परवानों को अंतः स्थल से नमन करें हम,
प्रतिनिमिष अपने मन में तुम्हारा स्मरण करें हम!!!
काबिलियत का शिखर चूम के तुम, जब सरहद पर जाते हो,
चाहिए कोई अंगरक्षक साथ नहीं तुम तो भाले शस्त्र उठाते हो,
रहते हो अविचिल सदैव, कितनी भी खूंखार घातें हो,
लेकर इक सीख इस साहस से, निज दुर्गुणों का शमन करें हम,
प्रतिनिमिष अपने मन में तुम्हारा स्मरण करें हम!!!!
त्याग ममता का आंचल तुम, खुले शामियानों में थपेड़े सहते हो,
तुम तो वह कुलदीपक हो जो, रोशन सरहदी हवाओं में भी रहते हो,
तुम अडिग हिमगिरी हो जो, बनकर सुरक्षा सरित हम तक बहते हो,
तुम्हारी अगाध मातृभक्ति का पल-पल मंथन करें हम,
प्रतिनिमिष अपने मन में तुम्हारा स्मरण करें हम!!!!
मां, बहन, प्रिया व भारत मां की, तुम हर पल रखते लाज हो,
फिर क्यों ना तुम्हारा जीवन बेहतर, और औहदों से आज हो,
क्या कर्ज़ तुम्हारा अदा करने को, बस हमारे चंद अल्फाज़ हों?
संरक्षित रावण को देश में और संघर्षित सीमा पर रघुनंदन को क्यों रखे हम,
प्रतिनिमिष अपने मन में तुम्हारा स्मरण करें हम!!!!
कलयुगी, कलुषित काल में जब, आतंकी कालिमां है छाई,
हंसते-हंसते तुम वीर सपूतों ने, अपनी जान गंवाई,
विसंगति तो देखो तुम इस जीत की, नेताओं को मिलती है मुफ्त ही दुहाई,
तुम्हारी अमर शहादत को भाव-पुष्प अर्पण करें हम,
प्रतिनिमिष अपने मन में तुम्हारा स्मरण करें हम!!!!
जीवन तलक हर इक श्वास पे, रहेगा तुम रक्षकों का ऋण,
चुक जाएगा जीवन पर, हो न सकेंगे कभी तुमसे उऋण,
तुम ना हो तो, देश हो जाएगा जैसे मछली हो जल के बिन,
अपने देश के हर सैनिक को, कोटि-कोटि वंदन करें हम,
प्रतिनिमिष अपने मन में तुम्हारा स्मरण करें हम!!!!
लक्षित व निर्भीक होकर, यों प्राण न्योछावर करोगे तुम,
बसोगे हमारे दिलों में सदैव, ना होगा तुम्हारा नाम कभी गुम,
हो करके धराशायी भी, सबसे उच्च कह लाओगे तुम,
गा-गाकर गरिमामई गाथा, देशभक्ति का गुंजन करें हम,
प्रतिनिमिष अपने मन में तुम्हारा स्मरण करें हम!!!!