कल
कल
कहते हैं बीता हुआ कल हुआ कभी पीछा नहीं छोड़ता।
दिल की ग़हराइयों में झाकों तो दिखेगा
एक ऐसा साया जो सादा पीछा करते मिलेगा
चाहे वो एक छोटी सी ख़ुशी हो या दुखों का बादल
दिल को दिलासा देते हम सदा पर दिमाग़ नहीं जानता यह पहेली सुलझाना
किसी भी जगह मोड़ लेती यह एक ऐसी कश्ती जो किनारे पर पहुँच तो जाती है पर उसकी अगला मुसाफ़िर कौन है यह सोच कर फिर मुड़ जाती है उस कल में जो कभी पीछा नहीं छोड़ता ।