उड़ान
उड़ान
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छूना है आसमान हमें
पर अपने खोलकर होंसला रखेंगे उनपे
डोर के कटने से डर गए हम
तो उड़ना भूल जाएँगे
उड़ान तो अब भर ली है
बस सफ़र तय करना बाक़ी है
साथ हो अगर हवा का तो उड़ती हुई डोर से
कटने के बजाए निकल जाएगे उसके साये से
मंज़िल तक पहुँचने की उड़ान छू लेगी आसमान
पर भूलेंगे नहीं की पेरों को ज़मीन पर रखकर ही
बनती है हर इंसान की पहचान