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मधु प्रधान मधुर

Inspirational

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मधु प्रधान मधुर

Inspirational

नारी का रूप २ नारी का‌ रूप भाग १ भी है। कृपया इसे

नारी का रूप २ नारी का‌ रूप भाग १ भी है। कृपया इसे

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धन्यवाद

मधु प्रधान मधुर

 

नारी के होते हैं रूप अनेक

वह चंचल नदिया है

तूफ़ानों से खेली ,मझधारों में तैरी

जीवन नैया की पतवार सलौनी है।।

आदि शक्ति , सरस्वती

लक्ष्मी और रणचंडी का 

अवतार है नारी।।

नारी ,नर की पूरक है

पर रूप अ बला का

सहने को वह तैयार नहीं

सृष्टि-स‌जन की मधुर कल्पना है

जगत की पालनहार है वह।।

इसीलिए कहते हैं

मत रोडे़ अटकाओ मत द्वेष दिखाओ

अवसर उसको भी

जीवन में आगे बढ़ने का ।।

सुन घुंघरू की छम छम

पथ की स्वर-मय सरगम पर

नाच उठे मन मयूर

भावों को अवसर दो नर्तन का ।।

नारी श्रृद्धा है, विश्वास सभी का

परिवारों के बंधन की

वह कड़ी मधुर है।।

आंसू कमजोरी की लड़ी नहीं है

धमकियों से जो ढह जाए

वह ऐसी दीवार नहीं है।।

वह संगिनी है, अर्धांगिनी है

घर का जलता दीपक है

जो अंधियारे गलियारों को

भरता उजियारों से है

नारी का‌ अस्तित्व यही है

नारी का सच्चा रूप यही है।

  



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